Hisaab
मेरी मेहनत! :)
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नहर एक गन्दी सी ,लहरती हुई
फिर भी साँस लेती हुई
बहकती हुई, की ज़हर है रगों में
रोति हुई , अपने ही गम को इकठ्ठा करती हुई
एक दिन , एक दिन अचानक
अपने आप से मुकरती हुई
एक फकीर बोला सुन, सुन एक बार फिर
एक ,दो फिर तीन गम का हिसाब
अपने ही गम में , शर्माते
अपने नसीब का हिजाब...
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नहर एक गन्दी सी ,लहरती हुई
फिर भी साँस लेती हुई
बहकती हुई, की ज़हर है रगों में
रोति हुई , अपने ही गम को इकठ्ठा करती हुई
एक दिन , एक दिन अचानक
अपने आप से मुकरती हुई
एक फकीर बोला सुन, सुन एक बार फिर
एक ,दो फिर तीन गम का हिसाब
अपने ही गम में , शर्माते
अपने नसीब का हिजाब...